विभिन्न प्रकार की प्रचलित मान्यताओ के अनुसार विशिष्ठ सिधान्त है नव रतन धारण करने के सरल और सहज उपाए इस प्रकार है।
१- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म राशी , जन्म दिन , जन्म मास , जन्म नक्षत्र को ध्यान में रखते हुए ही रत्न धरण किया जाना चाहिए।
२- लग्नेश , पंचमेश , सप्तमेश , भाग्येश और कर्मेश के क्रम के अनुसार एवम महादशा , प्रत्यंतर दशा के अनुसार ही रत्न धारण करना चाहिए।
३ – छटा, आठवा और बरवा भाव को कुछ विद्वान मारकेश मानते है , मारकेश रत्न कभी धारण न करे।
४- रत्न का वजन पोने रत्ती में नही होना चाहिए। पोनरत्ती धारण करने से व्यक्ति कभी फल फूल नही पाता है। ऐसा व्यक्ति का जीवन हमेशा पोना ही रहता है |
५- जहाँ तक रत्न हमेशा विधि विधान से तथा प्राण प्रतिष्ठा करवा कर , शुभ वार , शुभ समय अथवा सर्वार्ध सिद्धि योग , अमृत सिद्धि योग या किसी भी पुष्प नक्षत्र में ही शुभ फल देता है।
६- जहा तक संभव हो रत्न सार्वशुद्ध ख़रीदे और धारण करे और दोष पूर्ण रत्न न ख़रीदे जैसे दागदार , चिरादार , अन्य दो रंगे , खड्डा , दाडाक दार , अपारदर्शी (अंधे) रत्न अकाल मृत्यु का घोतक होते है |
जानिए रत्न धारण करने कि विधि:
किसी भी रतन को धारण करने से पूर्व सामान्यता जिस गृह क रत्न धारण कर रहे है उसके दिन उसी गृह के नक्षत्रो का योग जब बने ,उस दिन धारण करें रत्न धारण करने से पूर्व रतन को कच्चे दूध से धोकर गंगाजल से धो ले , पुनः अगरबती या धूप दिखाकर उसके अधिपति एवं इस्टदेव का ध्यान करते हुए धारण करें किसी भी रतन को धारण करने से पूर्व ज्योतिषी की सलाह अवश्य लेनी चाहिए | कोई भी रत्न कितने वजन का होना चाहिए, यह निर्णय उस व्यक्ति कोजनम् पत्रिका में गृह कि स्तिथि ,वर्त्तमान , महादशा , अंतदर्शा , कालचक्र दशा , अस्तोत्री दशा योगिनी दशा इत्यादि पर विचार करके ही करना चाहिए यह निर्णय उस व्यक्ति कि जन्म पत्रिका में गृह कि स्तिथि वर्त्तमान महादशा , अंतरदशा , कालचक्र दशा , अष्टोत्तरी दशा , योगिनी दशा इत्यादि दशा पर विचार करके ही करना चाहिए|
जब एक से अधिक रतन पहनने हो तो रतनो का आपस में सकारात्मक तालमेल होना आवशयक हैं |
यदि परस्पर विरोधी रतनो का धारण किया जाये तो ये रतन हानिकारक भी सिद्ध हो सकते हैं कई भी व्यक्ति किसी भी समय किसी न किसी गृह कि महादशा में ही रहता है यह गृह जिस स्थति में होंगे उसी प्रकार का फल प्रदान करते हैं रतन को अंगूठी में अथवा कसी भी रूप में धारण कर सकते है परन्तु याद रखे शरीर से रतन स्पर्श अवश्य करें तभी लाभदायक होते हैं |