वृक्ष ज्योतिष क्या है ?
वृक्ष ज्योतिष क्या है, इस पृथ्वी प्रकृति की सभी अनोखी देनों में से एक है वृक्ष, पेड-पौधे | इनका हर प्रकार से सालभ है जीवित रूप में और मृत रूप में भी भागवत पुराण में 10वें स्कन्द के 2 अध्याय के 27 वें श्लोक में वृक्षों का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया गया है |
इसमें संसार को एक सनातन वृक्ष के रूप बताया गया है इस वृक्ष का आश्रय है – एक प्रकृति । इसके दो फल है – सुख और दुःख, इसकी तीन जड़ें है- सत्व, राज, तम: इसके 4 रस है – धर्मं, अर्थ, काम, मोक्ष । इसके जानने के 5 प्रकार है- श्रोत्र , त्वचा,नेत्र, रसना और नासिका । इसके 6 स्वभाव हैं- पैदा होना, रहना, बढना, बदलना, घटना और नष्ट हो जाना । इस वृक्ष की 7 धातुएं है इसकी छाल – रस, रुधिर, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र, । इसकी 8 शाखाएँ है – 5 महाभूत, मन, बुधि, और अहंकार । इसमें मुख आदि नावों द्वार खोडर है । प्राण, अपान , व्यान, उदान , समान, नाग, कुर्म, कृकल, देवदत्त और धनञ्जय – ये 10 प्राण ही इसके 10 पत्ते है । और अंत में कहा गया है की इस संसार रूपी वृक्ष पर 2 पक्षी है जीव और ईश्वर ।
फिर से भागवत पुराण के ही 10वें स्कन्द के 22 अध्याय के 32, 33, 34 वें श्लोक में वृक्षों का बहुत ही सुन्दर भाग्यवान कहा गया है क्योंकि इनका सारा जीवन दूसरों की भलाई के लिए ही है । ये स्वयं तो हवा के झोंके, वर्षा, धुप, और पाला, सब को सहते है अपितु हम लोगो की इनसे रक्षा भी करते है । ये सभी प्राणियों को सहारा देते हैं और इनसे उनका जीवन निर्वाह होता है । जैसा कहा जाता है की कोई भी सज्जन पुरुष के घर से कोई भी याचक खली हाथ नहीं जाता ठीक उसी प्रकार ये वृक्ष से हमें कुछ न कुछ तो मिल ही जाता है। पत्ते, फूल, फल, छाया, जड़, छाल, लकड़ी, गंध, गोंद, राख, कोयला, अंकुर, और कोपलों से भी लोगों की कामना पूर्ण होती है |
इन दो स्लोको से ज्ञात होता है की ये वृक्ष कितने महान है और हर प्रकार से शुभ फलदाई है शास्त्रों में लिखा है की इनकी पूजा अर्चना मात्र से ही आपको शुभ और मनचाहा लाभ देते है । अलग अलग पुराणों में इन वृक्षों की महिमा का वर्णन किया गया है जैसे तुलसी की पूजा, केले के वृक्ष की पूजा, नीम, आवला, पीपल, बड आदि वृक्षों की पूजा का क्या महत्व है और गीता में स्वयं भगवन श्री कृष्ण ने कहा है “अश्वथ सर्व वृक्षाणाम” अर्थात इस पृथ्वी पर जो विशाल वृक्ष है व मैं स्वयं हूँ ।
नवग्रह और वृक्ष
पुराणिक काल में नवग्रहों व नक्षत्रों की शांति के लिए कुछ विशेष प्रकार के वृक्षों की पूजा की जाती थी जिनके माध्यम से उनको लाभ भी मिलता था और प्रकृति को भी बढ़ावा और संरक्षण मिलता था
ज्योतिष में कहा गया है की किसी भी ग्रहों की शांति के लिए पूजन, मंत्र जाप, रत्न – रुद्राक्ष , औषधी स्नान व धारण और दान का माध्यम लिया जाता है। इन्ही में वृक्ष पूजन भी कहा गया है इनकी पूजा से आपको मन चाह लाभ मिलता है
भविष्य पुराण के अध्याय 55-56 और गरुड़ पुराण में श्लोक के माध्यम से बताया गया है की किस किस ग्रह का कौन स वृक्ष है
अर्क: पलाश: खदिरश्चापामार्गोऽथ पिप्पल:।
औडम्बर: शमी दूव्र्वा कुशश्च समिध: क्रमात्।।
अर्थात अर्क (मदार), पलाश, खदिर (खैर), अपामार्ग (लटजीरा), पीपल, ओड़म्बर (गूलर), शमी, दूब और कुश क्रमश: (नवग्रहों की) समिधायें हैं। – गरुण पुराण
ज्योतिष में 7 मुख्य ग्रह, 2 छाया ग्रह और 12 राशियाँ बताई गईं हैं ।
सूर्य और चन्द्र को छोड़ कर बाकि सभी ग्रह 2 राशियों के स्वामी है
इस तरह ग्रह अनुसार वनस्पतियों की सूची निम्र प्रकार है –
अतः यदि किसी की जन पटरी में कोई ग्रह गोचर में परेशान कर रहा है तो उस ग्रह से सम्बन्धी वृक्ष की समिधाओं से हवन करने से व उस वृक्ष की पूजा करने से आपको लाभ होता और नवग्रहों की शांति होती है ।
किसी भी वृक्ष के चयन से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी से अवश्य सलाह लें और कोई भी वर्तमान ग्रह गोचर सम्बंधित गणना आप अपने प्रसिधी नाम के अनुसार से ही करें न के जन्म राशि के अनुसार ।
अधिक जानकरी के लिए आप संपर्क कर सकते है – Contact Dr Kanhaiya Gairola
आगे जानिये ………………
कौन सा वृक्ष है आपके लिए लाभकारी ?
किस वृक्ष देव की पूजा करने से मिलेगा धन लाभ, मान सम्मान, विद्या.व्यापर सुख, विवाह आदि?
कौन से वृक्ष है आपका इष्ट वृक्ष?
जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरे अगले ब्लॉग.