Chhath Pujan Muhurat, Vidhi and Samagri
छठ पर्व या षष्ठी पूजा को कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन मनाया जाता हैं. इस दिन हम पृथ्वी पर जीवन का समर्थन करने के लिए सूर्य देव और उनकी पत्नी उषा को धन्यवाद करते हैं. यह त्यौहार दिवाली के छठे दिन शुरू होता है इसलिए इसे छठ पर्व कहा जाता हैं.
ऐसा माना जाता है कि छठी मइया अपने जातकों की समस्त मनोकामना पूरी करती हैं और उनकी संतानों की रक्षा करती हैं.
वर्ष 2019 में छठ पर्व, पूजन मुहूर्त दिनांक 02-11-2019 को प्रातः सूर्योदय 06:31 से लेकर सूर्यास्त 17:38 तक है. षष्ठी तिथि 02-11-2019 को रात्रि 00:51 से प्रारंभ होकर 03-11-2019 को प्रातः 01:31 पर समाप्त होगी.
छठ पूजन मे स्त्री व पुरुष दोनो ही व्रत रखते हैं. यह पर्व चतुर्थी से आरंभ होकर षष्ठी के समापन तक चलता है. प्रत्येक दिन का कुछ ख़ास महत्व होता है और एक अलग पूजन विधि होती है.
छठ पूजन प्रथम दिन (कार्तिक मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी/31-10-2019)- खाए नहाए
छठ पूजा का प्रथम दिन जिसे खाए नहाए भी कहा जाता है इसे छठ पर्व मे प्रवेश से पहले घर, शरीर व आत्मा के शुद्धीकरण के रूप मे देखा जाता है. इस दिन प्रातः उठकर घर की साफ-सफाई करी जाती है और घर को सजाया जाता है. इस दिन नहाकर साफ कपड़े पहनकर शुद्ध शाकाहारी व सात्विक भोजन जिसमे प्याज़ या लहुसन का प्रयोग ना हो, खाया जाता है. इस दिन की शुद्धिकरण की प्रक्रिया को पार कर मनुष्य पवित्र हो कर छठ पर्व मे प्रवेश पाता है.
छठ पूजन द्वितीय दिन(कार्तिक मास शुक्ल पक्ष पंचमी/01-11-2019)- खरना
प्रथम दिन की शुद्धिकरण प्रक्रिया के बाद छठ के दूसरे दिन जिसे खरना कहते है, मनाया जाता है. इस दिन घर की स्त्रियां व पुरुष दोनों ही उपवास रखते हैं. इस उपवास मे लोग अन्न व जल दोनो ही त्याग कर सच्चे हृदय से माँ षष्ठी की उपासना करते है. शाम के समय पास ही के किसी नदी, तालाब या सरोवर में स्नान करके व्रत को विश्राम दिया जाता है. यदि आपके घर के पास कोई तालाब या सरोवर या नदी ना हो तो आप घर मे ही स्नान कर सकते हैं. स्नान करने के उपरांत गुड की खीर बना कर पहले ब्राह्मणों या कुँवारी कन्याओं को खिलाएँ उसके बाद आप अपना व्रत खोल सकते हैं.
छठ पूजन तृतीय दिन(कार्तिक मास शुक्ल पक्ष षष्ठी/02-11-2019)- शाम का आर्घ्य
द्वितीय दिन की तरह इस दिन भी सुबह से उपवास रखकर पूजन मे प्रयोग होने वाले पकवान बनाए. जो लोग इस पर्व मे श्रद्धा रखते हैं मानते हैं की इस पूजा मे बनने वाले पकवान की सामग्री पूरी तरह नयी होनी चाहिए अर्थात आप अपने रोज़मर्रा के प्रयोग का सामान इस पूजा मे प्रयोग ना करें. गाँव के क्षेत्रो मे तो इस दिन के लिए चूल्हा भी अलग बनाया जाता है परंतु यदि आप गैस चूल्हा प्रयोग करते हैं तो उसे एक बार धो कर गंगाजल या गौमूत्र छिड़के. पूजा के लिए प्रयोग होने वाली सामग्री इस प्रकार है:-
– फल(जितने भी प्रकार के मिल पाएँ परंतु यदि सिंगाड़ा,बिजोरा,शरीफ़ा,छोटे नींबू, बड़े नींबू, अदरक, अमरक, मूली, अनानास आदि फल हो तो अच्छा होगा)
– शकरकंद
– नारियल
– कच्ची हल्दी
– गन्ना(ईख)
– दिया
– अगरबत्ती / धूपबत्ती
– केसरी रंग का सिंदूर
– मेवा(अखरोट, बादाम, काजू, पिस्ता, मखाना, सूखा नारियल)
– ठेकुआ(यह आटा और गुड से बनने वाला एक पकवान है जो मिठाई के रूप मे खाया जाता है)
– केले के पत्ते
– अर्क पत्र/बाँस के डाले(बर्तन)
ध्यान रखें की पूजा मे प्रयोग होने वाली सभी चीज़ें सरसो तेल और चीनी की जगह गुड से बनाई जाए
पूजा की सारी सामग्री तैयार होने के बाद उसे बाँस के बड़े बर्तनो मे रखकर पास ही के पानी के किसी स्त्रोत के पास रखे जैसे नदी या तालाब. बर्तनो को गन्ने की झोपड़ी बना कर उस झोपड़ी मे दिया जलाएँ. सूर्य को अर्क दें परंतु ध्यान रहे अर्क देते समय सूर्य अस्त ना हो रहा हो. लोग जो अधिक आस्था रखते हैं वे पूरी रात पानी मे खड़े रहते है परंतु ऐसा करना अनिवार्य नही होता हैं. इसके साथ ही लोग रातभर भजन कीर्तन भी करते हैं. लोग रात्रि के समय हाथ मे फल तथा अनाज पकड़कर छठ व्रत कथा सुनते हैं तथा छठ मईया से अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं.
छठ पूजन चतुर्थ दिन(कार्तिक मास शुक्ल पक्ष सप्तमी/03-11-2019)- प्रभात का अर्घ्य, व्रत का समापन
सुबह की पहली किरण के साथ सूर्य को अर्घ्य दें और व्रत का समापन करें. परंतु स्वयं भोजन ग्रहण करने से पूर्व ब्राह्मणों या कुँवारी कन्याओं को प्रसाद खिलाएँ. फिर स्वयं प्रसाद खा कर अपने व्रत का समापन करें.
स्वामी गगन शास्त्री जी और ReligiousKart परिवार की ओर से आपको और आपके परिवार को छठ (Chhath) महापर्व की ढेरों शुभकामनाएँ.
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