Dhanteras Puja Muhurat
पूरी विश्व में भारत को उत्सवों के देश के रुप में जाना जाता है | हर धर्म से जुड़े लोगों के अपने खुद के सांस्कृतिक और पारंपरिक त्योहार है जिनके पीछे कोई न कोई कहानी या सन्देश छुपा होता है जो हमारे समाज को एक नयी दिशा दिखता है | सभी त्योहारों की अपनी परंपरा होती है जिससे संबंधित जन-समुदाय इनमें एक साथ भाग लेता है । सभी जन त्योहार के आगमन से प्रसन्नचित्त होते हैं व विधि-विधान से, पूर्ण हर्षोल्लास के साथ इन त्योहारों में भाग लेते हैं ।
भारत के मुख्य त्योहारों में से एक त्यौहार जिसका सब को बड़ी बेसब्री से पूरा साल इंतजार रहता है वो है दीपावली का त्यौहार जो की कार्तिक मॉस की त्रियोदशी को धनतेरस से प्राम्भ होकर भैयादूज तक चलता है |
कार्तिक मॉस की त्रियोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है | भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के अधिष्ठाता देवता होने से देवताओ के वैद्य हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु ने जगत की रक्षा हेतु 24 अवतार धारण किए हैं जिनमें भगवान धन्वंतरि 12वें अंशावतार हैं अर्थात वह साक्षात् प्रभु श्री हरि के रूप हैं।
विंष्णु पुराण के अनुसार राजा बलि के राज्य में दैत्य अत्यधिक बलवान हो गए थे और उन्हे उन्हें अपने देवता शुक्राचार्य जी की संजीवनी शक्ति भी प्राप्त थी। इसी बीच दुर्वासा ऋषि से देवराज इन्द्र दुर्वासा ऋषि के शाप की वजह से बलहिन् हो गये थे। दैत्यराज बलि का राज्य तीनों लोकों पर था। इन्द्र सहित देवतागण उससे भयभीत रहते थे। इस स्थिति के निवारण का उपाय केवल बैकुण्ठनाथ विष्णु ही बता सकते थे, अतः सभी देवता भगवान श्री हरी की शरण में पहुंचे | देवताओ की व्यथा सुनने के बाद प्रभु ने उन्हे बोला की तुम्हे देत्यो से जितने के लिए अमृत की आवश्यकता है जिसके लिए समुन्द्र मंथन करना होगा जो तुम लोग अकेले नहीं कर सकोगे इसे लिए तुम लोग दैत्यों से दोस्ती कर लो और उनकी सहयता से समुन्द्र मंथन करो |
“श्री हरी के आदेशानुसार इन्द्र ने समुद्र मंथन से अमृत निकलने की बात बलि को बताया। दैत्यराज बलि ने देवराज इन्द्र से समझौता कर लिया और समुद्र मंथन के लिये तैयार हो गये। उस समुन्द्र मंथन से 14 बहुमूल्य रत्न निकले जिसमें कार्तिक मॉस की त्रियोदशी को आयर्वेद के देवता धन्वंतरि का जन्म हुआ| ‘धन’ शब्द ‘समृद्धि’ से जुड़ा हुआ है और ‘तेरस’ का अर्थ है, ‘तेरहवां दिन’। धनतेरस के दिन से ही लक्ष्मी माता के स्वागत की तैयारियाँ आरम्भ शुरू कर दी जाती हैं। धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी के पद चिन्हों को घर में स्थापित किया जाता है और संध्या काल में 13 दीपक जलाकर उनकी पूजा की जाती है। लोक मान्यता है कि इससे परिवार में अकाल मृत्यु के भय से परिवार को मुक्ति मिलती है।
मान्यता है कि इस दिन सोने चांदी के साथ ही पीतल के बर्तन या अन्य को नयी चीज़ खरीदने से घर में सौभाग्य, स्वास्थ्य,सुख-शांति और आरोग्य प्राप्त होता है। भगवान धन्वंतरी पीतल का कलश लेकर समुन्द्र से बाहर निकले थे इसी कारण पीतल से बनी हुई कोई भी चीज़ खरीदना शुभ माना जाता है।
धनतेरस के दिन संध्या काल के समय में नया दीपक लेकर उसमें सरसों का तेल डालकर यमराज का ध्यान करें। इसके बाद घर के लोगों की लंबी आयु की प्रार्थना करें और दीया जलाएं। दीपक को घर के बाहर दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके रखना चाहिए।
इस बार ये त्योहार 25 अक्टूबर 2019 को मनाया जाएगा। धनतेरस की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 07:22 से लेकर 08:25 के बीच तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में यदि आप अपनी राशि के अनुसार कोई सामान खरीद के लाते है तो उसे में आप को गई गुना लाभ होगा ।
मेष – इस राशि वालों को कलश खरीदना चाहिए | स्टील का कलश न लेकर पीतल तांबे का कलश खरीदें |
वृषभ – वृषभ राशि वाले जातक, झीलों तथा पहाड़ों वाली सीनरी, सजावट से सम्बन्धित वस्तुयें, मैरून रंग के पर्दे, बेडसीट, डिनर सेट आदि खरीद सकते है।
मिथुन – इस राशि वालों को सोना और चांदी के सिक्के खरीदने से लाभ होगा |
कर्क – आप धनतेरस के दिन आभूषण, लक्ष्मी माँ की मूर्ति और सभी प्रकार के वाहनों की खरीददारी कर सकते है।
सिंह – इस राशि के लोगों के लिए धनतेरस पर सोना खरीदना लाभदायक होता है। इसके अलाना पीतल के बर्तन या सामान की खरीदी भी जा सकती है।
कन्या – कन्या राशि वाले धनतेरस के दिन हरे रंग के वस्त्र, चांदी और फर्नीचर खरीद सकते हैं।
तुला – इस राशि वाले जातक चीनी के सिक्के, घड़ी, पुस्तकें, पेन, आदि खरीद सकते है। वृश्चिक – वृश्चिक राशि वाले लोगो को धनतेरस के दिन पीतल से निर्मित वस्तुओं की खरीददारी कर सकते है।
धनु – धनु राशि वाले लोगो को धनतेरस के दिन लाल रंग के वस्त्र और साज सजा की सामग्री एंव क्रॉकरी आदि वस्तुओं की खरीददारी कर सकते है।
मकर राशि: इस राशि के लोगों के लिए इस धनतेरस वाहन या ऐसी वस्तु जो कि लोहे की बनी हो खरीदना शुभ रहेगा।
कुम्भ राशि – इस राशि वाले जातक चांदी से निर्मित वस्तुओं की खरीददारी करें। जैसे-चांदी का सिक्का, चम्मच, गणेश जी की मूर्ति, आदि। ज्यादा खर्च नहीं कर सकते तो चांदी का पत्तुर भी ले कर अपनी तिजोरी में रख सकते हैं।
मीन राशि – इस राशि वाले जातक शंख, मोतियों की माला और भगवान विष्णु की मूर्ति खरीद सकते है।
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